सुबोध सिंह ,APP न्यूज डेस्क रिपोर्ट बांका (बिहार);
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बेलसीरा गांव के दरोगा परमानंद रजक की फाईल फोटो |
बांका जिले के शंभूगंज थाना क्षेत्र के बेलसीरा गांव के दरोगा परमानंद रजक का पटना के बुद्धा कैंसर अस्पताल पटना में इलाज के क्रम में मौत हो गई। वह 27 वर्ष के थे। उसकी मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। घटना के बाद ग्रामीणों की उसके घर पर भड़ी लग गई। जानकारी के अनुसार शंभूगंज थाना क्षेत्र के बेलसीरा गांव के परमानंद रजक 2022 बैच के दरोगा थे। जो की पाटलिपुत्र पटना थाना में अवर निरीक्षक के पद पर पदस्थापित थे।
राजगीर में ट्रेनिंग के दौरान फायरिंग करने के वक्त सीने में उठी थी दर्द
परिजनों ने बताया कि 10 माह पूर्व राजगीर ट्रेनिंग सेंटर में फायरिंग करने के दौरान अचानक उसके सीने में दर्द हुई थी। जिसके बाद हालत बिगड़ते देख उसका इलाज के लिए दिल्ली एम्स अस्पताल ले जाया गया था। जहां इलाज के बाद स्थिति समान्य होने पर पुनः पाटलिपुत्र थाना में योगदान देकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। इसी बीच उसकी हालत फिर बिगड़ने पर परिजनों ने तीन दिन पूर्व ही पटना के ही बुद्धा कैंसर अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां इलाज के क्रम में गुरुवार की सुबह उसकी मौत हो गई।
ब्लड कैंसर से पीड़ित था दरोगा, दो दिनों से था कोमा में
वह पिछले दो दिनों से कोमा में था। मृतक दरोगा परमानंद रजक के बहनोई संजय रजक ने बताया कि उन्हें पूर्व से ब्लड कैंसर था। साथ ही राजगीर में ट्रेनिंग के दौरान फायरिंग के बाद सीने में अचानक तेज दर्द उठा था। जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई थी। इस घटना के बाद उसकी मां वीणा देवी और पिता मुनेश्वर रजत व चार भाई तीन बहन का रो रोकर बुरा हाल है। बताया की परमानंद रजक चार भाइयों में तीसरे नंबर में थे। बड़ा भाई संजय रजक शिक्षक है तो दूसरे नंबर के भाई राजीव विकास मित्र है। जबकि तीसरी नंबर पर दरोगा परमानंद रजक थे और चौथे नंबर पर छोटे भाई अमरजीत रजक है। जो की पढ़ाई कर रहे हैं। पेसे से उसके पिता मुनेश्वर रजक किसान है। इस घटना के बाद उसके परिजनों में कोहराम मच गया है।
बचपन से ही दरोगा बनने का था शौक और, जज्बे और जुनून ने बना दिया परमानंद को दरोगा
मृतक परमानंद रजक के परिजनों ने बताया की परमानंद रजक शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल था। और हमेशा देश सेवा के जज्बा लिये वह दरोगा बनना चाह रहे थे। और फिर दरोगा बनने में 2022 में कामयाबी हो गए। किंतु भगवान को शायद उनका रहना मंजूर नहीं था। जिसके कारण परमानंद रजक का बुद्धा कैंसर संस्थान अस्पताल पटना में इलाज के क्रम में गुरुवार की सुबह मौत हो गई। उसकी मौत की खबर जंगल में आज की तरह फैल गई। जिसके बाद उसके घर पर ग्रामीणों की और रिश्तेदारों की भीड़ लग गई। बताया जा रहा है कि मृतक दरोगा परमानंद रजक का पार्थिव शरीर गुरुवार की देर रात पैतृक निवास स्थान बेलशीरा आने की उम्मीद है।