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बांका : यहां नसबंदी कराने में पुरूष भाग रहे पीछे, सिर्फ महिलाएं उठा रही परिवार नियोजन का भार, करा रही बंध्याकरण, देखिए रिपोर्ट

यहां नसबंदी कराने से पीछे क्यो भागते पुरूष 
सुबोध सिंह, डेस्क रिपोर्ट बांका ,(बिहार) 
जिले के शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र में नसबंदी के लिए महिला और पुरुषों को प्रोत्साहित करने का जिम्‍मा आशा कार्यकर्ता व एएनएम पर होता है। वह घर-घर जाकर लोगों को नसबंदी कराने के लिए जागरूक करती है। बावजूद शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र में परिवार नियोजन बंध्याकरण कराने की जिम्मेदारी को सिर्फ महिलाएं ही उठा रही है। जानकारी के अनुसार शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र में पिछले एक वर्ष के दौरान कुल 546 महिलाओं ने बंध्याकरण ऑपरेशन कराई।
गलतफहमी से ग्रसित पुरूष नसबंदी कराने में पीछे 
जबकि कोई भी पुरूष ने जनसंख्या नियंत्रण का जिम्मेदारी नही उठई। शंभूगंज सीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक अमित कुमार पंकज ने बताया कि सीएचसी में 183 महिलाओं का पीपीएस किया गया है। यानि जनवरी 2024 से 31 अक्टुबर 2024 तक में परिवार नियोजन बंध्याकरण ऑपरेशन 546 महिलाओं की हुई। जबकि साल भर में एक पुरूष ने भी नसबंदी नही कराई। शंभूगंज के एक आशा कार्यकर्ता बताती हैं कि लोगों में डर है कि नसबंदी के बाद पुरुष कमजोर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि हमलोग पुरुषों से कहते हैं कि वह नसबंदी करा लें, क्‍योंकि उन्‍हें न चीरा लगेगा न ही टांके आएंगे, लेकिन वो तैयार नहीं होते हैं। उनमें गलतफहमी है कि नसबंदी कराने के बाद वह कमजोर हो जाएंगे। इसी गलतफहमी सोच के कारण शंभूगंज सीएचसी में महिला तो बंध्याकरण कराने के लिए तैयार हो जाती है, किन्तु पुरूष को समझाने पर भी तैयार नहीं होते हैं।
पुरूष को नसबंदी को लेकर चलाया जाएगा जागरूकता अभियान
शंभूगंज के स्वास्थ्य प्रबंधक अमित कुमार पंकज ने बताया कि पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर साल नसबंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है। इस दौरान पुरुषों को जानकारी दी जाती है कि नसबंदी करवाने से पुरुषों में कामेच्छा, पौरुष, यौन सुख आदि में किसी तरह की कमी नहीं आएगी। इसके बाद भी पुरुष नसबंदी के लिए तैयार नही होते हैं। वहीं शंभूगंज सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि पुरूष गलतफहमी के शिकार हैं।
नसबंदी कराने पर पुरूष को मिलता ज्यादा प्रोत्साहन राशि
जिसके कारण वह नसबंदी कराना नहीं चाहते हैं और परिवार नियोजन का जिम्मेदारी महिलाओं को ही दे देते हैं। जबकि महिलाओं से ज्यादा पुरूषों को नसबंदी कराने पर सरकार प्रोत्साहन राशि देती है। उन्होंने बताया कि पुरूष के बीच बैठे गलतफहमी को दूर करने के लिए वह जागरूकता अभियान चलाएंगे, ताकि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी का बोझ महिलाओं के साथ - साथ पुरूष भी उठा सकें।


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