Left Post

Type Here to Get Search Results !
Responsive Image
LIVE

श्रावणी मेला सांस्कृतिक धरोहर, कांवर यात्रा आस्था के साथ - साथ शरीर के लिए भी है संजीवनी - बोले डीएम

कुणाल शेखर APP न्यूज ब्यूरो रिपोर्ट, भागलपुर
 डीएम ने बताया  कांवर यात्रा केवल आस्था नहीं, शरीर के लिए भी संजीवनी

भागलपुर श्रावणी मेले के दौरान सुल्तानगंज के गंगाधाम से देवघर के बाबाधाम तक कांवर यात्रा को आम तौर पर धार्मिक आस्था और परंपरा का हिस्सा माना जाता है, लेकिन भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने इस यात्रा के मेडिकल फायदों पर भी रोशनी डाली है। डीएम का कहना है कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी भी है। डॉ. चौधरी, जो खुद एक मेडिकल प्रैक्टिशनर रह चुके हैं, ने बताया कि कांवर यात्रा में शिवभक्त करीब 105 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते हैं।

 यह लम्बी पदयात्रा शरीर के कई अंगों को सक्रिय करती है और इससे हृदय, फेफड़े, मांसपेशियां और मानसिक संतुलन बेहतर होता है। 

उन्होंने इसे इको-मेडिको-रिलिजियस टूरिज्म की एक अद्भुत मिसाल बताया उनके अनुसार, कांवरियों के शरीर से पसीना निकलता है। जिससे डिटॉक्सीफिकेशन होता है। पैरों की निरंतर चाल से रक्तसंचार सुधरता है, और मन में हर पल 'बोल बम' का जाप करने से ध्यान केंद्रित होता है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। 

उन्होंने कहा कि श्रावणी मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित गंगाधाम से गंगाजल लेकर देवघर के बाबाधाम तक की पैदल यात्रा करते हैं यह एक ऐसी परंपरा है जो न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रबल करती है बल्कि लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर भी प्रेरित करती है। डीएम ने जोर देते हुए कहा कि सरकार को इस तरह के इको-मेडिको-रिलिजियस टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहिए।

 ताकि धार्मिक यात्रा को एक नए दृष्टिकोण से देखा जा सके उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी यात्राओं को स्वास्थ्य मंत्रालय और पर्यटन विभाग के सहयोग से और भी वैज्ञानिक ढंग से प्रमोट किया जा सकता है।



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Design by - Blogger Templates |