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ब्रेकिंग न्यूज : सुई लगाते ही युवक की हुई मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने किया हंगामा

कुणाल शेखर APP न्यूज ब्यूरो रिपोर्ट, भागलपुर

इंजेक्शन लगाते ही युवक का हो गया मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने किया हंगामा

सन्हौला में निजी क्लिनिक में हो रही है मौत तब भी जिला प्रशासन के -द्वारा नहीं किया जा रहा है जांच

भागलपुर जिले के सन्हौला थाना क्षेत्र सन्हौला के निजी क्लिनिक में रोगी मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। बार-बार निजी क्लिनिक में मौत हो रही है। रविवार को भी सन्हौला के एक निजी क्लिनिक में तथाकथित डॉक्टर की लापरवाही के चलते एक युवक की जान चली गयी। डॉक्टर की गलती से रोगी मरने की सुचना पर काफ़ी संख्या में ग्रामीण क्लिनिक के सामने पहुंचकर खूब हंगामा किया। 

जानकारी के मुताबिक सन्हौला-अटपहरा सड़क के भगवानपुर मोड़ के पास जेडएस हेल्थ केयर क्लिनिक में शनिवार दोपहर धनकुंड थाना क्षेत्र के काठबनगांव निवासी मोहम्मद जमील उर्फ जम्मो मिस्री के 22 वर्षीय पुत्र मोहम्मद इसराफिल को पैर में घाव था। 

मोहम्मद इसराफिल घाव दिखाने जेडएस अस्पताल अपने परिजन के साथ आया था, लेकिन अस्पताल के एक तथाकथित  डॉक्टर द्वारा मात्र एक इंजेक्शन लगाने के बाद मोहम्मद इसराफिल का हालत बिगड़ना शुरू हो गया और कुछ ही छन में मोहम्मद इसराफिल की मौत क्लिनिक में ही हो गई। सूत्र बताते हैं कि इंजेक्शन को मांस में लगाना था लेकिन नस में लगा दिया। पूरा मामला जांच का विषय है। यह खबर इसराफिल के गांव व सन्हौला बाजार में आग की तरह फैल गई और काफ़ी संख्या लोग निजी अस्पताल के निकट पहुंचकर हंगामा करने लगे। इस दौरान परिजन दहाड़ मारकर रो रहे थे।

हंगामा के दौरान सन्हौला अटपहरा सड़क पर घंटे जाम की स्थिति बनी रही। जिस कारण राहगीरों को आवाजाही में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद पंचायत स्तर के प्रतिनिधि पहुंचकर व मृतक के परिजनो को राशि दिलाकर मामले को रफा-दफा करा दिया गया। सूत्र बताते हैं कि घटना के तुरंत बाद अस्पताल कर्मियों ने अस्पताल का बैनर हटा दिया। इसके पूर्व भी सन्हौला के दूसरे कई निजी क्लिनिक में रोगी मरने की घटना घट चुकी है, लेकिन वहां भी प्रतिनिधियों के सहयोग से मामले को शांत करा दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि सन्हौला में नीजी अस्पताल कुकुरमुत्ते की तरह काफ़ी संख्या में खुल गया है। 

जहां बैनर में डॉक्टर का नाम तो रहता है। लेकिन नवसिखुए कंपोडर द्वारा इलाज करने के दौरान रोगी की मौत हो जाती है। और यहाँ के प्रतिनिधि एक जान की क़ीमत चंद रूपये लगाकर मामले को सलट देते हैं। जो काफ़ी चिन्ताजनक है। इस मामले में प्रशासन को ठोस उपाय अपनाना चाहिए। जिससे गरीब रोगी की मौत इस तरह ना हो। अगर इस तरह होते रहेगा तो सवाल जिला प्रशासन के लिए होगा। आखिर इस तरह घटना में क्यों नहीं  होती है जांच। आखिर कौन करेगा कार्रवाई या ऐसे ही मामले को ठंडा वस्ते में दे दिया जाएगा। फिलहाल मामला जांच का विषय है। 



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