अंजनी कुमार कश्यप APP न्यूज नवगछिया (बिहार);
कोसी की कहर : रंगरा के जहांगीरपुर बैसी में कटाव का संकट
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत रंगरा प्रखंड के जहांगीरपुर बैसी गांव में कोसी नदी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। असमय कटाव ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है। आमतौर पर जुलाई-अगस्त की बाढ़ और उसके बाद जलस्तर घटने पर कटाव की स्थिति बनती है, लेकिन दिसंबर में हो रहे इस भीषण कटाव ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।
कब्रिस्तान के समीप मुड़ी नदी, जमीन हो रही विलीन
कोसी नदी की धारा गाँव से कुछ ही दूरी पर कब्रिस्तान के समीप मुड़ गई है। यह बदलाव दो एकड़ भूमि पर भारी पड़ रहा है, जहां तेजी से कटाव हो रहा है। देखते ही देखते 5 से 20 फीट जमीन नदी में विलीन हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कटावरोधी कार्य पहले जहां किए गए थे, वहां भी अब कटाव का प्रभाव दिखने लगा है।
कटाव की विभीषिका: घर-बार और खेती पर खतरा
जहांगीरपुर बैसी में अधिकांश ग्रामीण खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं। कोसी के इस प्रकोप ने उनकी आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया है। जमीन के कटकर नदी में विलीन होने से फसलें नष्ट हो रही हैं और लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि कटावरोधी कार्य के लिए अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों को अपने बलबूते ही बचाव के प्रयास करने पड़ रहे हैं।
ग्रामीणों की अपील: कोसी की कहर को रोका जाए
जहांगीरपुर बैसी के निवासी रामप्रवेश यादव ने बताया,हम हर साल कटाव झेलते हैं। सरकार ने कई बार वादे किए, लेकिन ज़मीन कटकर नदी में जा रही है और हमारी रोज़ी-रोटी खत्म हो रही है। 65 वर्षीय गुलाब देवी ने कहा, हमारे पूर्वजों की कब्रें भी अब इस कटाव की जद में आ रही हैं। क्या प्रशासन के पास हमारे बचाव का कोई समाधान नहीं है।
कोसी की अनिश्चितता और प्रशासन का मौन
कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है, और यह नाम इसकी अनिश्चित धारा और विभीषिका को बखूबी दर्शाता है। इस बार दिसंबर के महीने में कटाव ने प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। ग्रामीणों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोसी की कटाव समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालिक योजना की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को मिलकर कटावरोधी कार्यों को प्रभावी बनाने और ग्रामीणों को इस संकट से उबारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। कोसी की इस विकराल समस्या से निजात पाने के लिए समर्पित प्रयास और प्रशासनिक सहयोग की आवश्यकता है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह गांव कोसी नदी के इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगा।