सुबोध सिंह,APP न्यूज डेस्क रिपोर्ट बांका (बिहार);
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रोते विलखते परिजन |
बांका जिले के शंभूगंज थाना क्षेत्र के बिलसीरा गांव के दरोगा परमानंद रजक की मौत की घटना के बाद उसके माता-पिता और परिजनों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। गुरुवार की देर रात करीब 12:00 बजे मृतक दारोगा परमानंद रजक का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने पर देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। मां वीणा देवी व तीनो बहन के करूण विलाप से माहौल गमगीन हो गया। जिसके बाद रात्रि में ही दाह संस्कार करने के लिए सुल्तानगंज निकल गए। जहां सुल्तानगंज के श्मशान घाट पर उनका दाह संस्कार किया गया।
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दरोगा परमानंद रजक |
मुखाग्नि मृतक दारोगा के भाई अमरजीत ने दिया। घटना को लेकर गम में डुबे परिवार के सदस्यों का लगातार रो-रो कर बुरा हाल है। वही ढ़ाढ़स देने के लिए रिश्तेदार और ग्रामीण का जमाव बाड़ा उसके घर पर लगा हुआ है। गम में दुबे परिवार के लोगों के घर शुक्रवार को भी चूल्हा नहीं जला। बता दे की दरोगा परमानंद रजक वर्ष 2022 के दरोगा थे। जो की पाटलिपुत्र थाना पटना में नियुक्त था। इस दौरान 10 माह पूर्व ही राजगीर में ट्रेनिंग के दौरान फायरिंग करने वक्त उसके सीने में दर्द उठ गई थी। इसके बाद उसे इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। हालात सामान्य होने के बाद दरोगा परमानंद यादव पुन: पाटलिपुत्र थाना में योगदान देकर अपना जिम्मेदारी संभाल रहा था।
कैंसर से पीड़ित था दरोगा ,राजगीर में ट्रेनिंग के दौरान फायरिंग करने के वक्त सीने में उठी थी दर्द
बताया जा रहा है कि दरोगा परमानंद रजक ब्लड कैंसर से पीड़ित था। इसी बीच उसकी फिर तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद बुद्धा कैंसर संस्थान अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगातार दो दिनों तक कोमा में रहने के बाद दरोगा परमानंद रजक की मौत हो गई। परमानंद रजक चार भाई तीन बहन थे। जबकि भाइयों में वो तीसरे नंबर पर थे। वह बचपन से ही पढ़ने में अव्वल थे। समाज में उसकी एक अलग छवि थी। नौकरी होने के बाद वह जब भी गांव आते थे तो गांव के छात्र और छात्राओं को पढ़ाई पर ध्यान देकर देश सेवा की जज्बा और जुनून भरते थे। इस घटना के बाद उसकी मां वीणा देवी और पिता मुनेश्वर रजक के आंख से आंसू नहीं थम रही है।